हमे अपनी मातृ भाषा हिन्दी पर गर्व है।
- Aman Kumar
- Feb 21, 2019
- 3 min read
हमे अपनी मातृ भाषा हिन्दी पर गर्व है।
अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस - २१ फरवरी पर विशेष
मन को बड़ी ठेस सी पहुंचती है जब अपने ही देश में लोग हिंदी भाषा का सम्मान नहीं करते | अपने ही लोग जब अपनी भाषा को नहीं अपनाएंगे तो कैसे हमारा भारत महान बन पायेगा इसी सोच के कारण मन बहुत दुखी हो जाता था |मैं हिंदी भाषा का आदर ही नही उससे प्रेम करता था|लेकिन दिन -दिन लोगों का झुकाव अंग्रेजी व अन्य भाषाओँ की बढ़ता जा रहा था |मैंने अपने स्तर से लोगों को समझाना शुरू किया की मात भाषा सभ्य समाज के निर्माण की आधारशिला है | लेकिन उनके ऊपर कोई असर नही पड़ता था ,वे उस समाज को ज्यादा तवज्जो देते थे जहां के लोग अंग्रेजी बोलते थे |
मैंने समझ लिया था जब तक जड़ों को नही सींचेंगे तब तक फूल नहीं खिलेंगे ,इसलिए मैंने बच्चों को हिंदी विषय की शिक्षा देने का मन बना लिया |मैंने इसकी शुरुवात अपने स्कूल के बच्चो से की और साथ ही बच्चों को भगवती कुमार शर्मा के कहे वचनों को बताता कि -हम संकुचित और संकीर्ण न बनें विश्वसाहित्य और विश्वसंस्कृति की दिशाओं की सभी खिडकियों और दरवाजे खुले रखें,लेकिंन साथ ही अपनी मात भाषा की अवगणना न करे|
आज के इस बदलते परिवेश में, अंग्रेजियत के दौर में ,पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने की होड़ में हमारी खुद की पहचान हमारी भाषा हमारी संस्कृति कहीं पीछे छूटती जा रही|हम दरवाजा खोलकर दूसरों के स्वागत में इतना जुट गए हैं कि हमारे घर में अपने कौन हैं हम ये ही भूल गए |
हिंदी भाषा जो हर भारतीय की पहचान है ,अब कहीं - कहीं वो ही अपनी पहचान बनाने के लिए जद्दोजहद्द कर रही है |बल्कि भारत की आजादी के ७० साल बाद अब वह हमारी पहचान नहीं बल्कि हमारी शान होनी चाहिए |
अपनी हिंदी भाषा को बचाने के लिए मैंने खुद की पहचान ही हिंदी बना ली |
मैंने विद्यार्थियों को अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान करने पर बल दिया|विद्यार्थियों के अंदर यह भावना रहती है कि समाज में या अपना कर्रियर बनाने में अंग्रेजी ही सहायक होगी |उनकी इस दुविधा को कम करने के लिए मैंने कई व्याख्यानों का आयोजन कराया जिसमें हिंदी को लेकर अपना व्यवसाय कैसे चुना जाय ,यह बताया |
कई विद्यालयों में जाकर हिंदी विषय को कैसे और रोचक बनाया जाय इस बात पर चर्चा की और हिंदी विश्व पटल पर किस तरह अपनी मजबूती बना रही है इस बात का प्रचार और प्रसार किया |हमें अंग्रेजी से दूर नही जाना है बल्कि हमें हिंदी को आत्मसात करना है |दिनचर्या में हिंदी शब्दों का इस्तेमाल हमारे व्यवहार को अधिक मृदु बनाता है और हमें अपनापन भी मिलता है |
लोगों में हिंदी के प्रति उत्साह पैदा करना आसान काम नही था ,लेकिन मैने इस कार्य के लये खुद को समर्पित कर दिया |हिंदी में लेख और कविता लिखना मेरा शौक था मैंने इस के द्वारा लोगों के साथ खुद को जोड़ा | मैं १०वी के विद्यार्थिओं को मुफ्त में हिंदी की शिक्षा देता हूँ | हिंदी माध्यम से पढ़कर IAS जैसी प्रतियोगिता में अपना परचम लहराने वाले विद्यार्थियों का इंटरव्यू बच्चों को दिखाता हूं |और हिंदी के बदलते रूप से लोगों को रूबरू कराता हूं |हिंदी की वैज्ञानिकता कितनी सार्थक है यह भी लोगों के लिए जानना बहुत जरूरी है |
मुझे ऐसा लगता है कि इस समय भारत में सबसे ज्यादा बच्चे है अगर इन बच्चों में राष्ट्र प्रेम और भाषा प्रेम जैसे विचार भरे जायेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब अगले १० सालों में भारत के अंदर भी अपनी भाषा अपनी संस्कृति को सर्वोपरि मानेगा |तब हम किसी भाषा का अनुकरण करेंगे, आहरण नहीं |
हिंदी भाषा ही हमें देशप्रेम सिखाती है |पूरे भारत को एक सूत्र में बाँधने का काम हिंदी ही करती है |आज वैश्विक स्तर पर यह सिद्ध हो चुका है कि हिंदी भाषा अपनी लिपि और ध्वनाय्त्मक उच्चारण के लिहाज से सबसे शुद्ध और विज्ञान सम्मत भाषा है | अतः जरूरत है हिंदी भाषा को अपना अभिमान बनाने की |
लेख - अमन कुमार व रोहित कुमार ।
Comments